जलवायु परिवर्तन और भारत की जल सुरक्षा
प्रस्तावना
21वीं सदी में मानवता के सामने सबसे गंभीर संकटों में से एक है — जलवायु परिवर्तन (Climate Change)। इसके प्रभाव न केवल पर्यावरण तक सीमित हैं, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के आयामों को भी प्रभावित करता है। भारत जैसे विकासशील और जनसंख्या-घनत्व वाले देश के लिए, इसका सबसे गंभीर असर जल सुरक्षा (Water Security) पर देखने को मिल रहा है।
भारत में जल संकट की स्थिति
भारत विश्व की कुल जनसंख्या का 18% आबाद करता है लेकिन केवल 4% मीठे पानी (freshwater) संसाधनों का ही उपयोग करता है।
- NITI Aayog की Composite Water Management Index (CWMI) के अनुसार, भारत के लगभग 21 प्रमुख शहरों में 2030 तक groundwater खत्म हो सकता है।
- 70% से अधिक जल संसाधन प्रदूषित हैं।
- 600 मिलियन लोग जल-संकट की स्थिति में जी रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
1. मानसून की अनिश्चितता (Monsoon Variability)
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पैटर्न में बदलाव आ रहे हैं — कभी अधिक बारिश, तो कभी सूखा। यह किसान, जलाशयों और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है।
2. ग्लेशियरों का पिघलना (Melting of Glaciers)
हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियर, जो भारत की नदियों का मुख्य स्रोत हैं, तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे लंबे समय में जल आपूर्ति खतरे में पड़ सकती है।
3. समुद्र स्तर में वृद्धि (Sea Level Rise)
इससे तटीय क्षेत्रों में जवनीकरण (salinity) और जलस्तर में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है।
4. बढ़ते तापमान और सूखा (Heatwaves and Drought)
इन कारणों से जलाशयों का स्तर गिरता है और किसानों को पीने तथा सिंचाई के पानी की कमी होती है।
जल सुरक्षा की दिशा में चुनौतियाँ
- Over-extraction of groundwater
- Unplanned urbanization और water logging
- Industrial pollution द्वारा नदियों का प्रदूषण
- Low efficiency irrigation systems जैसे flood irrigation
- Institutional fragmentation (विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी)
सरकार की पहलें (Government Initiatives)
भारत सरकार ने जल संकट से निपटने हेतु कई योजनाएँ शुरू की हैं:
- Jal Shakti Abhiyan – "Catch the Rain" अभियान के माध्यम से वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहन।
- Atal Bhujal Yojana – Groundwater management के लिए community participation पर आधारित योजना।
- Namami Gange Programme – गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों का पुनर्जीवन।
- Har Ghar Jal – Jal Jeevan Mission – ग्रामीण घरों तक पाइप के माध्यम से जल आपूर्ति।
आगे की राह (Way Forward)
- वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) को अनिवार्य किया जाए।
- Micro-irrigation techniques जैसे drip और sprinkler को बढ़ावा दें।
- Water recycling और reuse को urban planning में शामिल करें।
- Education और Awareness campaigns के माध्यम से जल संरक्षण की संस्कृति विकसित करें।
- Integrated Water Resource Management (IWRM) को नीति निर्माण में शामिल किया जाए।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन और जल सुरक्षा आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। यदि जल का संरक्षण नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए water wars की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भारत को इस दिशा में तुरंत, प्रभावी और टिकाऊ कदम उठाने की आवश्यकता है।
"पानी बचाओ, भविष्य बचाओ।"

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